Sunday, May 11, 2008

कीमतों का बढ़ना............

महंगाई का स्वरूप वैश्विक है , इससे कोई इंकार नही कर सकता । लेकिन केन्द्र सरकार इसका हवाला देकर ,पल्ले नही झाड़ सकती । प्रधानमंत्री जी कई अवसर पर इस तथ्य का हवाला दे चुके हैं । जहाँ तक मेरा मानना है ,

तात्कालिक कारणों मे -

तेल की कीमतों मे बेतहासा वृद्धि

होर्डिंग ( कालाबाजारी )

वायदा कारोबार

और ग़लत निर्यात नीति

दीर्घकालिक कारणों मे -

कृषि की उपेच्छा

व्यवसायिक खेती पर अधिक जोर

खाद्य सुरक्षा की अनदेखी


3 comments:

दिनेशराय द्विवेदी said...

संक्षिप्त और प्रभावशाली पोस्ट। लेकिन फोन्टस् बहुत बहुत बड़े, और भाषा में वर्तनी अशुद्धियाँ भी।

अनिल रघुराज said...

रंजन जी, थोड़ा और गहरे उतरते तो अच्छा होता। सतह पर दिखने वाली चीज ही पूरा सच नहीं होती। जैसे वायदा कारोबार को महंगाई का दोषी मानना गलत है। होर्डिंग सरकार की नीतियों के चलते हैं क्योंकि पहले व्यापारियों के लिए स्टॉक सीमा 10,000 टन थी, जिसे अब बढ़ाकर 50,000 टन कर दिया गया है। व्यावसायिक खेती वाले भी मर रहे हैं। वो कपास के ही किसान हैं जो विदर्भ में खुदकुशी कर रहे हैं। खाद्य सुरक्षा के बारे में कुछ न कहना ही बेहतर है क्योंकि एफसीआई के गोदामों में लाखों टन अनाज सड़ जाता है। खुद सरकार के मुताबिक हमारे यहां हर साल 55,000 करोड़ रुपए के खाद्यान्न बरबाद हो रहे हैं। 60,000 करोड़ रुपए के फल-सब्जियों की बरबादी अलग से है। इसीलिए मेरा कहना है कि गहरे पैठिए। तभी सच का साक्षात्कार हो पाएगा।

Udan Tashtari said...

संक्षिप्त में काफी सार दे दिया. अच्छा लगा.