Saturday, April 4, 2009

किसकी सत्ता

मैं इस समय पुरे देश पर नजर न डालकर उत्तर प्रदेश का रुख करता हूँ
वर्षो से उत्तर प्रदेश दिल्ली पर सत्ता करने का एक आवश्यक मार्ग हुआ करता था , किंतु अब स्थिति काफी बदल चुकी है । क्षेत्रीय दलों के उभार और राष्ट्रीय दलों के पतन से समीकरण काफी कुछ बदल गया है। बी यस पी भले ही एक राष्ट्रीय दल हो लेकिन अभी भी उसका चाल , चेहरा, और चरित्र क्षेत्रीय है अभी वास्तविक राष्ट्रीय दल के रूप मे पहचान मिलनी बाकी है
प्रदेश की सामयिक स्थिति बेहद रोचक और रोमांचक दोनों है बी यस पी और सपा दोनों एक दुसरे को कड़ी टक्कर दे रही हैं लेकिन बी जे पी भी कई जगहों पर अप्रत्यासित ढंग से टक्कर दे रही है , पूर्वांचल मे एक नए पार्टी (पीसपार्टी ) ने सपा की गणित गड़बड़ कर दी है जिसका फायदा बसपा और बीजेपी दोनों को हो रहा है , इसका असर संत कबीर नगर , महराज गंज , गोरखपुर ,बस्ती , गोंडा इत्यादि मे देखने को मिल सकता है , चोकिये नही यह यथार्थ है
संत कबीर नगर मे राजेश सिंह बहुत हद तक सपा को रनर अपकी स्थिति मे ला दिए हैं , उशी तरह बस्ती मे वाई डी सिंह जो बीजेपी के हरीश दुबे के मुकाबले कमजोर प्रत्याशी है की हालत और पतली कर सकता है पीश पार्टी का प्रत्यासी
बहार हाल पूर्वांचल से नतीजे चोकाने वाले हो सकते हैं