Saturday, May 10, 2008
कीमतों का बढ़ना और कांग्रेस की वापसी मे कोई ट्रेड-आफ सम्बन्ध है -
महंगाई किसी भी सरकार के लिए जी का जंजाल है । कीमतें गिरती हैं तो जनता-भी खुश और सरकार भी खुश । इसीलिए सरकार हर हफ्ते मुद्रा स्फीति के आंकडे प्रस्तुत करती रहती है । लेकिन लोंगो को पता नही क्यों इन आंकडों पर विश्वास नही होता । उनको लगता है कि जिस सरपट गति से कीमतें बढ़ रही है उस गति से तथाकथित मुद्रास्फीति नही बढ़ रही है , जानता का क्या ? वह तो सरकार के आकडो को एक सरकारी पैतेरे बजी से अधिक कुछ भी नही समझती । सब्जी का दाम बढ़ रहा है , दाल,चीनी,तेल इत्यादी का दाम बढ़ रहा है तो महंगाई बढ़ रही है , अब मुद्रास्फीति बढे या न बढे इससे जानता का कोई सरोकार नही है । उसे तो सिर्फ़ इतना मालूम है कि महंगाई बढ़ रही है ...........................................क्रमशः
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3 comments:
आपका स्वागत मैं कैसे कर सकता हूँ ,
बड़े लोग तो कर चुके अब छोटों की बारी ....स्वागत है :)
शुरूआती दौर में महंगाई रात भर जगाती है ...बाद में आदत पड़ जाती है ..यही हाल ब्लाग लेखन का भी है :)
लेकिन, यहां तो न फल-सब्जी सस्ती हो रही है न मुद्रा स्फीति के आंकड़े नीचे जा रहे हैं फिर भी चिदंबरम कह रह हैं कि महंगाई बढ़ नहीं रही।
इस समय तो कांग्रस के गले की फांस बनी है मंहगाई-सही है, जारी रहें.
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